उच्चकोटि के ग्रहस्थ योगी सद्गुरुदेव योग योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज का 101वाँ जन्मोत्सव
- 5 Views
- Filmania News
- April 7, 2021
- Event
योगेश्वर देवीदयाल महामन्दिर में श्री योग अभ्यास आश्रम ट्रस्ट के चेयरमैन एवं योगेश्वर देवीदयाल महादेव के तृतीय पुत्र योगाचार्य श्री अशोक जी की अध्यक्षता एवं ट्रस्ट के प्रधान योगाचार्य श्री स्वामी अमित देव जी के सानिध्य में योगेश्वर देवीदयाल महादेव जी का 101वाँ जन्मदिन अनेक राज्यों से आये हुए भक्तों के द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्री स्वामी अमित देव जी के सानिध्य में 22वें 108 कुण्डीय योग महायज्ञ किया गया। 108 कुण्डीय योग महायज्ञ का आह्नान योगेश्वर सुरेन्द्र देव जी महाराज द्वारा 1999 में आरम्भ किया गया।
इस अवसर पर प्रधान योगाचार्य श्री स्वामी अमित देव जी ने कहा कि आज का युग विज्ञान का युग हैं। विज्ञान की प्रगति ने भौतिक सुख-सुविधा के अनेक मार्ग खोल दिए हैं। सुख लिप्सा मृग-मारीचिका में मानव निरंतर भटक रहा है। आणविक अस्त्र के नित्य नए अन्वेषण पूरी मनुष्य जाति के लिए ही नहीं हमारी प्रगति के लिए भयंकर बने हुए हैं। आज मानव के सामने अस्तित्व और अनास्तित्व का प्रश्न उपस्थित हो गया है। समाज के संघर्ष भरे वातावरण में व्यक्ति का निजी जीवन अनिश्चितता, चिंता, बीमारी, दुर्बलता, निरसता, हताशा एवं वासनाओं से भर गया है। आजकल वायुमंडल भीतर-बाहर से अत्यधिक दूषित है। खान-पान अव्यवस्थित है।

वस्त्र एवं बर्तन रोग के आकर्षण है। फलतः नाना प्रकार के रोग उभर रहे है। महानगरों में धुआँ-धुंध, गर्द-गुबार, ध्वनि और प्रदूषण से युक्त परिवेश में जीवन प्रतिदिन दूभर होता जा रहा है। आज मानव तनावपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा है। उसका मन बेचैन और अशांत है। उसका तन दुर्बल और रोग ग्रस्त है। वर्तमान मानव जीवन में लोभ, लालच, छल-कपट, बेईमानी और तृष्णा जैसी अनेक चित्तवृत्तियाँ उभर रही है।
वेद की इस तरह की स्तुतियाँ केवल कामना नहीं थी, अपितु आज के युग में आचरण के योग्य है। मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ऋषियों ने अनुभव और प्रयोगों से युग ग्रंथों की सर्जना भी की है। यथा पातंजलि योग दर्शन, गीता, शिव संहिता, घेरंड संहिता, हठ योग प्रदीपिका, योग वशिष्ट जैसे ग्रंथों की रचना की।
योगश्चित्तवृत्ति निरोधः
अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध नियंत्रण ‘योग’ कहलाता है। ‘योग’ में योगी गुरु की शरण अति आवश्यक है। योगी सद्गुरुदेव जी की कृपा बिना योग की गहनता यर्थात् मानव जीवन के चरम ध्येय को प्राप्त नहीं किया जा सकता। केवल शास्त्रों के ज्ञान एवं तर्क से ईश्वर प्राप्ति, आत्म दर्शन नहीं हो सकते। अनुभवी योगी सद्गुरुदेव जी ही साधक (शिष्य) को अभ्यास के विघ्न व उनसे बचने के उपाय बताकर अपने निर्देशन में नियमित अभ्यास कराते है।
हमारे सद्गुरुदेव योग योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज उच्चकोटि के ग्रहस्थ योगी हुए हैं, जिनके संबंध में किंचित् भी बोलना मेरे लिए असम्भव है, तो भी मैं ‘स्वांतः सुखाय’ कुछ शब्द लिखने जा रहा हूँ।
सब पर्वत स्याही करूं, घोल समुद्र मंझाय।
धरती का कागज करूं, श्री सद्गुरु स्तुति न समाय।।
आपजी का जन्म 10 मार्च, 1920 (फागुन मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी विक्रम सम्वत् 1977) अविभाजित हिन्दुस्तान के हवेली दीवान, जिला झंग में हुआ। आपके पिता जी का नाम चै. लालचंद आहुजा था, जो कि पुलिस के विशिष्ट अधिकारी थे। उन्होंने बाल अवस्था से ही आप की रुचि भगवान हनुमान जी, योग तथा धर्म-कर्म के कार्यों में देखते हुए आपको प्रभु भक्ति की पे्ररणा दी। आपकी माता का नाम श्रीमति रत्नदेवी था। आपने शिक्षा-दीक्षा के साथ-साथ अपने आपको आध्यात्मिक उत्थान के कार्यों में भी लगाए रखा तथा जब किसी संत-महात्मा के आगमन के बारे में सुनते तो सत्संग के लिए जाते रहते तथा आपको अपने सद्गुरुदेव योगेश्वर मुलखराज जी महाराज के चरणों में जाने का सौभाग्य 1941 में हुआ। तब से आपने अपना जीवन उनकी सेवा-भक्ति में ही बिताया।
आपका विवाह 1942 में कुमारी मीरादेवी (सुहागवंती) से हुआ। आपके तीन सुपुत्र हुए, जिनकों आपने बाल अवस्था से ही योग के कार्यों में लगाया। आपके ज्येष्ठ सुपुत्र योगाचार्य श्री मदनलाल जी, आपके दूसरे सुपुत्र प्रधान योगाचार्य देव श्री स्वामी सुरेन्द्र देव जी महाराज, आपके तृतीय पुत्र योगाचार्य श्री अशोक जी। आपके दूसरे सुपुत्र प्रधान योगाचार्य देव श्री स्वामी सुरेन्द्र देव जी महाराज, जिनके जन्म उपरांत ही सद्गुरुदेव योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज को योगेश्वर मुलखराज जी महाराज ने सभी योग-साधन पूर्णरूपेण सिद्ध हो जाने पर आपको गुरु-पद पर नक्षत्रों में सूर्य के समान आसीन किया, अपने आशीर्वाद-कृपा से योग की उत्तम शक्तियों का मालिक बनाया तथा दुखी-सुखी एवं जिज्ञासु जनों को योगामृत का दान देने के लिए अपना पंचभौतिक शरीर त्यागने से पूर्व ही अपनी सभी शक्ति विभूतियों का भी मालिक बना दिया। अपना उत्तराधिकारी घोषित कर योगाश्रमों के निर्माण की आज्ञा प्रदान की।
आपके सद्गुरुदेव योगेश्वर मुलखराज जी महाराज (द्वितीय गुरु गद्दी) अपना स्थूल शरीर सन् 1960 में त्यागकर आपको अपना रूप बनाकर अपने सद्गुरुदेव योगेश्वर रामलाल भगवान (प्रथम गुरु गद्दी) के चरण कमलों में लीन हो गए। तदोपरांत आपने अद्वितीय योगमय जीवन में आपके द्वारा उनके इस दिव्य अविनाशी कार्यों को सुचारू रूप से चलाते हुए योग को घर-घर पहुँचाया। आपके द्वारा अपनी इस 60 वर्षों की योग यात्रा में 17 राजकीय योग सभाओं तथा लगभग 70 योग मंदिरों का निर्माण कर योगाचार्यों की नियुक्ति की, जो कि योग दिव्य मंदिरों, दिव्य योग मंदिरों, योग चिकित्सालयों तथा श्री योग अभ्यास आश्रमों के नाम से सुप्रसिद्ध है। इन पावन मंदिरों में नित्यप्रति हजारों की संख्या में नर-नारी, साध्य-असाध्य रोगों से निदान पा रहे हैं। इसके अतिरिक्त बालक-बालिकाओं को विद्यार्थी जीवन से ही योग की शिक्षा देकर स्वस्थ एवं चरित्रवान बना रहे हैं।
योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज (तृतीय गुरु गद्दी) ने अपने पुत्र भक्त श्री सुरेन्द्र देव जी महाराज को अपने पास योग दिव्य मंदिर भामाशाह मार्ग, दिल्ली में बुलवाया तथा उनके साथ 12 घंटे रहे। तदोपरांत अपने समस्त भगत समाज को उनके सुपुर्द कर 1.8.1998 (श्रावण मास शुक्ल पक्ष अष्टमी संवत् 2055) को आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मैडिकल साइंसीस में ब्रह्ममुहूर्त में अपने गुरुओं के दिव्य अविनाशी स्वरूप में लीन हो गए। आपजी के द्वारा अपने जीवन काल में अनेकों पुस्तकें प्रकाशित की गई। योग दिव्य दर्शन (हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, तेलुगू), योग का साक्षात्कार, मद्रास यात्रा, ब्रह्माण्ड योग शक्ति, गुरु गीता, श्री महाप्रभु रामलाल चालीसा, योग प्रेम वर्षा, अनमोल रत्न, योग दिव्य अमृत वर्षा, वैराग्य वर्पण, योग उपचार पद्धति, आजीवन स्वास्थ्य (हिन्दी एवं अंग्रेजी), खानपान, जीवन तत्व (कायाकल्प) (हिन्दी, गुजराती, तेलुगू), नेत्र योग चिकित्सा।
इसके पश्चात् योगेश्वर सुरेन्द्र देव जी महाराज (चतुर्थ गुरु गद्दी) के द्वारा 13्.8्.1998 को हजारों भक्तों एवं गणमान्य व्यक्तियों के साथ योगेश्वर देवीदयाल जी महाराज की समाधि उनके सद्गुरुदेव योगेश्वर मुलखराज जी महाराज की समाधि के समीप तिलक नगर स्थित मंदिर में स्थापित की गई।
‘करोगे योग तो रहोगे निरोग’ इस कार्यक्रम में उपस्थित ट्रस्ट के चेयरमैन योगाचार्य श्री अशोक जी, संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महेश चंद गोयल जी, संस्था के सचिव राजीव जोली जी ने बताया कि आज जन्मोत्सव पर कई राज्यों से भक्तों ने आकर अपनी पूर्ण आहुति दी व कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को, विश्व में शांति दिलाने की कामना भी की। सभी भक्तों ने आकर अपने श्री गुरु जी का सिमरण व गुणगान किया। उपस्थित गुरु माँ श्रीमति शक्ति देवी जी, श्रीमति मीना जी, श्री मति सविता जी, श्रीमति तनु जी, श्री कार्तिक जी, पूजा जी, देवेश जी, भावना जी, भाटिया जी, श्री सुशील खन्ना जी, श्री निखिल खोसला जी, जगाधरी से श्री दिपक गुलाटी जी, श्री विनय भाटिया और सैकड़ों गुरु भक्तों ने गुरु जी को नमन किया। प्रसाद के रूप में 108 ब्राह्मणों को ब्रह्मभोज करवाने के बाद, आये हुए सभी भक्तों ने श्री गुरु जी का अटूट भण्डारे को ग्रहण कर और भण्डारे का आनन्द उठाया।
YouTube – https://youtu.be/ks9iL-empcM
Filmania – Best Press Release Distribution Services.
We Guarantee Maximum Media Pickups!
Filmania is one of India’s biggest Press Release Distribution Network. We are specializing in the delivery of press release content with multimedia to the media channels, individual investors, and the public.
- ‘Souza: The Enfant Terrible’, Bid & Hammer’s auction from 14th-17th April 2021
- Rajaram Sundaramurthy, a social worker serving people of Mysore
- World’s Largest Virtual Gathering of Technology Entrepreneurs Happening at TiEcon 2021
- Dragonfleet Games Pvt. Ltd. launches Fantasy cricket app OnField11
- LPFLEX bags another mega signage, graphics & wayfinding project from Mumbai Metropolitan Region Development Authority – Mumbai Metro